© SATYENDRA SINGH 'Mother & Child', 2003 (oil on canvas) Size - 18" x 24" |
Oil Painting
|
एक बच्चे के बचपन में उसकी माँ का
लाड़-प्यार बड़ा महत्व रखता है। उसकी दी हुई शिक्षा पूरी उम्रभर उसे अपने मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। बच्चा माँ के दूध को पीकर बड़ा होता है, माँ की ही ऊँगली पकड़कर चलना सीखता है और सबसे पहले ''माँ'' बोलकर, बोलना सीखता है। माँ को अपने बच्चों की बड़ी फिक्र होती है, उसे कभी भी अपने बच्चों का दुःख-दर्द नहीं देखा जाता।
इस ऑइल पेंटिंग को कैनवास पर तैयार किया गया है। इस पेंटिंग में एक महिला को अपने बच्चे को लाड़-प्यार करते हुए, गढ़वाल क्षेत्र के ग्रामीण परिवेश में परम्परागत वेशभूषा के साथ चित्रित किया गया है।
लाड़-प्यार बड़ा महत्व रखता है। उसकी दी हुई शिक्षा पूरी उम्रभर उसे अपने मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। बच्चा माँ के दूध को पीकर बड़ा होता है, माँ की ही ऊँगली पकड़कर चलना सीखता है और सबसे पहले ''माँ'' बोलकर, बोलना सीखता है। माँ को अपने बच्चों की बड़ी फिक्र होती है, उसे कभी भी अपने बच्चों का दुःख-दर्द नहीं देखा जाता।
इस ऑइल पेंटिंग को कैनवास पर तैयार किया गया है। इस पेंटिंग में एक महिला को अपने बच्चे को लाड़-प्यार करते हुए, गढ़वाल क्षेत्र के ग्रामीण परिवेश में परम्परागत वेशभूषा के साथ चित्रित किया गया है।
No comments:
Post a Comment